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होली Holi – Facts in Hindi के बारे में रहस्यमयी जानकारी
दोस्तों भारत में Holi का त्योहार महोत्सव बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू माह के अनुसार ब्रजमंडल में फल्गुन महीने के लगते ही शुरू हो जाता है परंतु देश के और कई क्षेत्रों में होली का डांडा रोपण करने के तुरंत बाद शुरू होता है । फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन भी होता है और दूसरे ही दिन धुलैंडी पर रंगों का त्योहार मनाया जाता है और जो रंग पंचमी होने तक चलता रहता है।
भारतीय पंचांग, ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा यानी होली के दूसरे दिन से चैत्र शुदी प्रतिपदा का आगाज होता है और इसी दिन से नया साल का भी शुरुआत माना जाता है। तभी होली पर्व नवसंवत तथा नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
1. होली Holi शब्द की शुरुआत कब हुई और होली का पौराणिक महत्व क्या है
दोस्तों पुराणों के अनुसार होली शब्द होलिका से लिया गया है जिसका सम्बंध दैत्यराज हिरण्यकश्यप एवं भक्त प्रल्हाद की कहानियों से है. कहा जाता है कि प्राचीन काल से हिरण्यकशिपु नाम का एक बहुत ही बलशाली असुर रहता था। अपनी शक्ति के दर्प में वह खुद को ही इश्वर मानने लग गया था। उसने अपने ही राज्य में ईश्वर का नाम जपने पर पाबंदी ही लगा दी थी। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र प्रल्हाद ईश्वर का भक्त था। प्रह्लाद की इश्वर भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत कठोर दंड भी दिए, लेकिन उसने ईश्वर की भक्ति का रास्ता नहीं छोड़ा। और हिरण्यकशिपु की एक बहन होलिका को ये वरदान प्राप्त हुआ था कि वह आग में भस्म नहीं हो पायेगी । इस कारण हिरण्यकश्यप ने ये आदेश दिया. की होलिका प्रल्हाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाये। पर आग में बैठने से होलिका तो जल कर राख हो गई, लेकिन प्रल्हाद बच गया था .इश्वर भक्त प्रल्हाद की याद में ही इस दिन पर होली जलाई जाती आ रही है। तब से दोस्तों इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत रूप में और होलिका दहन के रूप में मनाया जता आ रहा है |
2. यह भी कारण ही है
दोस्तों होली Holi मनाने की पीछे का सबसे बड़ा और दूसरा कारण हैं, इश्वर “बाल गोपाल”। दोस्तों अगर आपने कभी भी टीवी पर बाल गोपाल के बचपन की नटखट कहानियों को देखा हैं तो आपको जरूर ही पता होना चाहिए की, बचपन से ही उन्होंने कितने दानवों का संहार कर दिया था । दोस्तों उनके जन्म के बाद से उनके मामा कंस बाल गोपाल को मारने की बहुत व्यर्थ प्रयास भी किए थे। लेकिन भला कोई ईश्वर को ऐसे कुछ कर सकता हैं, बिल्कुल नहीं। दोस्तों एक बार प्रभु मामा कंस ने पूतना नाम की एक खतरनाक राक्षसी को उनके घर भेजा था। और उस राक्षसी ने एक महिला का रूप धारण कर बाल गोपाल को मारने के लिए अपना जहरीला दूध पिलाया था। वैसे मैं आपको बता देता दूँ की बाल गोपाल को इसके बारे में पता था और उन्होंने ने उस खतरनाक चुड़ैल को उसके ही जाल में फसा दिया और उसका ही वध कर डाला।
खैर दोस्तों इतना तक तो सब लोगों को पता ही होगा लेकिन इसके बाद की बात शायद ही किसी को पता होगी या नहीं । तो, जब जहर युक्त दूध बाल गोपाल ने पी लिया तो उनके शारीर का रंग एक दम नीला हो गया। ऐसे में उन्होंने अपनी माता से पूछा की इस नीले रूप में उन्हें कौन ही पसंद करेगा। तो जवाब में माता ने कहा, क्यों न वह (बाल गोपाल) ही दूसरों को रंग लगा कर उन्हीं के प्रकार का ही कर दें। तो बाल गोपाल ने ऐसा ही कर दिया और पूरे वृंदावन में उसी समय से ही होली Holi-facts in hindi का खेला जा जाने लगा हैं।
3. प्राचीन इतिहास से जुड़ा होली Holi के बारे में अद्भुत जानकारी
दोस्तों इतिहासकारों की मानी जाये तो आर्यों के समय में इस पर्व का चलन था, मगर यह उस समय यह सिर्फ भारत में ही मनाया जाता था। आपको बता दें कि इस पर्व का उल्लेख अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में भी मिलता है, जिससे ये पता चलता है कि लंबे समय से हमारी संस्कृति का हिस्सा है। नारद पुराण एवं भविष्य पुराण में भी इस पर्व का उल्लेख किया जाता है। विंध्य क्षेत्र में रामगढ़ नामक स्थान पर तक़रीबन 300 साल से भी ज्यादा पुराने अभिलेख मिले हैं, जिसमें होली Holi के बारे में लिखा भी गया है। इतना ही नहीं दोस्तों संस्कृत कवियों ने भी होली का उल्लेख वसंतोत्सव नाम से अपनी सभी कविताओं में बड़ी प्रिय तरीके से किया गया है.
4. धुलंडी त्योहार का प्रारंभ
दोस्तों होली Holi का रंग खेलने के बारे में होलिका की कहानी नही है बल्कि इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना नाम की राक्षशी का वध किया गया था जिसकी खुशी में ग्राम वासियों ने बृंदावन में होली का पर्व मनाया था | इसी पूर्णिमा के दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला भी रचाई थी और दुसरे ही दिन रंगा रंग उत्सव मनाया | तभी से रंग खेलने की प्रथा है जिसकी शुरुआत वृन्दावन से हुयी थी और आज वहीँ ब्रज की होली भारत में सबसे ज्यादा मशहूर है |
5. मुगल शासन काल के समय की होली Holi
दोस्तों इतिहासकार की मानें तो होली की पुरानी परंपरा का विरोध कभी भी मुगल शासकों द्वारा किया ही नहीं गया। बल्कि कई ऐसे मुगल शासक रहे, जिसने होली के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया किया है। हुमायूं, अकबर, जहांगीर और शाहजहां ऐसे मुगल बादशाह थे, जो कई महीनों पहले से ही होली की तैयारियां शुरू करवा दिया करते थे।
होली Holi के दिन अकबर के दरबार में अच्छी धूम देखी जाती थी। अकबर के महल में उन दिनों सोने और चांदी के बर्तनों में केसर से रंग तैयार किया जाता था जिसके साथ बादशाह अपनी बेगम और हरम की औरतों के साथ होली भी खेला करते थे। उसी दिन शाम को दरबार में कव्वाली का आयोजन भी किया जाता था, जहां लोग पाव इलायची तथा ठंडाई के साथ अतिथियों का स्वागत सत्कार भी करते थे।
दोस्तों मुगल शासन काल में होली को गुलाबी ईद के नाम से भी जाना जाता रहा था। आपको बता दें कि बादशाह जहांगीर के शासन में होली पर्व पर महफिल-ए-होली का कार्यक्रम किया जाता था। उस दिन राज्य के आम आदमी भी बादशाह के ऊपर रंग डालकर होली का लुत्फ सकते थे। वहीं दोस्तों जहांगीर के बेटे बादशाह शाहजहां इस पर्व को ईद पर्व के रूप में मनाते थे।
6. Holi – facts in hindi के बारे में 10 अद्भुत जानकारी.
- दोस्तों प्रसिद्ध मुस्लमान पर्यटक अलबरूनी ने अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होली Holi का जिक्र किया है। दोस्तों साथ ही भारत के बहुत से मुस्लिम कवियों ने अपनी कथाओं और रचनाओं में इस बात का भी उल्लेख किया है कि होली केवल हिन्दुओं की ही नहीं ‘मुसलमान’ भी मनाते थे।
- अकबर बादशाह का जोधाबाई के साथ और जहांगीर का नूरजहां के साथ होलिकोत्सव खेलने का उल्लेख किताबों में है। अलवर संग्रहालय के एक फोटो में जहांगीर बादशाह को होली Holi खेलते हुए भी दिखाया गया है।
- दोस्तों बादशाह शाहजहां के समय तक होली का मुगल अंदाज़ भी बदल दिया गया था। बादशाह शाहजहां के ज़माने में होलिकोत्सव को ‘ईद-ए-गुलाबी’ और ‘आब-ए-पाशी’ कहा जाता था।
- और मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में ये बातें है कि होलिकोत्सव पर उनके मंत्रीगण उन्हें रंग लगाने आया करते थे। और वहीं हिन्दी साहित्य में कृष्ण की लीला में भी होलिकोत्सव का विस्तार रूप से उल्लेख किया गया है।
- दोस्तों संस्कृत साहित्य में होलिकोत्सव Holi-facts in hindi के कई और रूप हैं. जिस में श्रीमद्भागवत महापुराण में होलिकोत्सव को रास का उल्लेख किया गया है। कवि सूरदास ने वसन्त और होली पर 78 पद भी लिखे हैं।
- दोस्तों होलिकोत्सव के अवसर पर मथुरा और वृंदावन में अद्वितीय मटका का समारोह का आयोजन भी किया जाता है। उत्सव में दूध तथा मक्खन से भरा एक मिट्टी का बड़ा मटका ऊंचाई पर बांधा दिया जाता हैं और लड़के की टोली मटके तक पहुंचने के लिए जी जान कोशिश करते रहते है। इस आयोजन में जीतने वाले को इनाम भी मिलता है।
- दोस्तों होलिकोत्सव Holi पर भरभोलिए जलाने की भी बड़ी परंपरा है। भरभोलिए गाय के गोबर से बने कंडे है, इनकी हार बनाई जाती है, जिसमें सात भरभोलिए लगाए जाते है। इस हार को सभी भाइयों के सिर से अनिष्ट को उतारा जाता है और होलिका आग के समय यह हार होलिका के साथ ही जला दिया जाता है।
- दोस्तों ब्रज की होली भी सारे देश के आकर्षण का मुख्य बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली भी बहुत मशहूर है।
- प्रह्लाद की कथा के अलावा यह पर्व चुड़ैल ढुंढी, राधा कृष्ण के रास तथा कामदेव के फिर से जन्म से भी जुड़ा हुआ है
- होलिकोत्सव Holi का पर्व भारत के अतिरिक्त नेपाल और अन्य सभी भारतीय प्रवासी देशो में भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
निश्कर्ष
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको होली Holi-facts in hindi के बारे में बहुत ही अद्भुत जानकारी बतायी है अगर आपको ये जानकारी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करना और एक comment भी धन्यबाद.
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