Eid-ul-adha: मुस्लिम के सबसे मुख्य पर्व बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहते है। धार्मिक कैलेंडर के अनुसार ईद उल अजहा का त्योहार इस वर्ष 10 जुलाई 2022 को मनाया जाएगा। दोस्तों बकरीद को मुस्लिम लोग त्याग तथा कुर्बानी के तौर पर जानते हैं। इस त्योहार की कहानी हजरत इब्राहिम से जुड़ी है ये बकरा ईद का त्योहार क्यों मनाया जाता है.
तीन हिस्से
कुर्बानी के बकरे के मास को 3 हिस्सों में बांटा जाता है एक रिश्तेदार का, एक गरीब का, और एक अपना यानी घर बालों का, कुर्बानी के बाद एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है और एक हिस्सा रिश्तेदारों को बांट दिया जाता है और तीसरा हिस्सा घरवालों के लिए होता है.
Muslim calender ke हिसाब से साल में 2 ईद हुआ करती हैं एक ईद उल जुहा तथा ईद उल फितर। ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहते हैं जो रमजान के 30 रोज़े रखने के बाद 31 वें दिन मनाई जाती है और इस के ठीक 70 दिन के बाद बकरा eid मनाई जाती है.
बकरीद की मान्यता
इस्लाम धर्म के अनुसार हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पैगंबर हुआ करते थे और वह अल्लाह हमें बहुत विश्वास रखते थे और अल्लाह को सबसे अजीब माना करते थे तो अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेने के लिए कुर्बानी के तौर पर उनसे सबसे अजीब चीज मांगी यानी कि जो इब्राहिम के पास सबसे अजीब चीज है वह अल्लाह के रास्ते में कुर्बान कर दो
हजरत इब्राहिम ने यह बात सुनकर अपने इकलौते और पहले और सबसे अजीज बेटे की कुर्बानी देने की सोच ली और दो पहाड़ों के बीच ले जाकर अपने बेटे की कुर्बानी देने लगे इसी बीच अल्लाह ने अपनी कुदरत से उनके बेटे को हटाकर वहां पर एक बकरा या दुंबा रख दिया जिसकी कुर्बानी हो गई
क़ुरबानी के नियम
कुर्बानी पहला नियम यह है कि जिसके पास 614 या फिर 616 ग्राम चांदी के बराबर पैसा है या फिर वह इतनी चांदी के बराबर धन होने की हैसियत रखता है उसको कुर्बानी कराना वाजिब कहा जाता है
जिस व्यक्ति पर पहले से काफी कर्ज है और उस पर काफी अधिक लोगों का कर्ज है तो ऐसे लोगों पर कुर्बानी जायज नहीं है
जो इंसान दोस्तों अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत हिस्सा दान के तौर पर गरीबों को देता है और पुण्य के कामों में सबसे आगे रहता है गरीबों को पैसे बैठता है ऐसे लोगों पर कुर्बानी जाए जाए
ऐसे जानवर की कुर्बानी जिसका सीन टूटा हो या जिसकी टांग टूटी हो या फिर जो जानवर 1 साल से कम उम्र का हो या जिस जानवर के दांत ना निकले हो ऐसे जानवर पर कुर्बानी नहीं मानी जाती
ईद की नमाज होने के बाद कुर्बानी की जाती है उसके बाद इसके मास को तीन हिस्सों में बांट दिया जाता है एक हिस्सा रिश्तेदारों को और एक हिस्सा गरीबों को दे दिया जाता है और एक हिस्सा अपने घर वालों के लिए रख लिया जाता है
Disclaimer : यह जानकारी सिर्फ आप लोगों की जानकारी बढ़ाने के लिए है इस जानकारी को इन्टरनेट के माध्यम से निकाला गया है factzones.com इसकी पुष्टि नहीं कर्ता.
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